उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में फिर जल्द दौड़ पड़ेगा मुंबई

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में फिर जल्द दौड़ पड़ेगा मुंबई


मुंबई। कोरोना के खिलाफ देश के सभी राज्यों में लड़ाई लड़ी जा रही हैं लेकिन इनमें सबसे बेहतर और प्रभावकारी कदम उठाने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को काफी प्रशंसा मिल रही है। महाराष्ट्र की बात करें तो उद्धव ठाकरे ने इस संक्रमण की शुरुआत से ही बहुत गंभीरता पूर्वक उसके बचाव के लिए रणनीति को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया था। उन्होंने प्रदेश की जनता को संवादों के जरिए इस भरोसे में लिया कि उनका हर कदम पक्षपात रहित होकर जनता के हितों की रक्षा करेगा। उद्धव ठाकरे के विवेकपूर्ण निर्णयों का नतीजा है कि महाराष्ट्र में खासतौर पर मुंबई में कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। क्योंकि सारे देश में मुंबई को लेकर बड़ी चिंता प्रकट की जा रही थी।


 कुछ लोगों को आशंका थी कि मुख्यमंत्री पद पर पहली बार विराजमान हुए उद्धव ठाकरे इतनी बड़ी आपदा से निपटने में निर्भरता से निर्णय नहीं ले सकेंगे। लेकिन उद्धव ठाकरे ने इस आशंका को दरकिनार कर मुंबई को भी शीघ्र लॉकडाऊन करने का फैसला लेकर कोरोना मरीजों की पहचान, उनके टेस्ट और उपचार के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां आरंभ कर दी। क्योंकि दुनिया के हालात को देखते हुए उन्हें इस बात का एहसास हो गया था कि मुंबई के मामले में जरा सी भी कोताही पूरे शहर पर भारी पड़ सकती है। अपने शांत- सरल और सहज व्यवहार के उलट वे लगातार आक्रमक तरीक़े से कोरोना के खिलाफ कड़े कदम उठाते रहे। वे यह संदेश भी जनता को पहुंचाते रहे कि इस आपदा में वे और उनकी सरकार राज्य के लोगों के साथ है।


 इसी के साथ वे चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह को बराबर तवज्जो देकर उन्हें लागू करवाने में लगे रहे।



उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री होने से मुंबई को कोरोना से लड़ने के लिए काफी आसानी हो रही है क्योंकि वे मुंबई के हर क्षेत्र से बखूबी वाकिफ हैं और व्यक्तिगत रूप से भी उनका इस शहर से लगाव है । भौगोलिक तौर पर मुंबई की जानकारी और मुंबईकर होने का गर्व भी ठाकरे को भावनात्मक रूप से जोड़ता है इसलिए अपने शहर को बचाने के लिए पूरी तरह से संकल्पित हैं।



 उद्धव ठाकरे के संबंध में दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं और उनकी यह रूचि कोरोना की जंग में उनकी बहुत मदद कर रही है। वे कोरोना के खिलाफ सारी दुनिया में लड़ी जा रही लड़ाई के तरीकों का अध्ययन कर रहे हैं और उनमें से जो चीज मुंबई में लागू हो सकती हैं, उसको व्यक्तिगत रुचि लेकर लागू भी करवा रहे हैं। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है मुंबई की झुग्गी बस्तियों जिसमें सबसे खतरनाक है धारावी का इलाका।वहां अब कोरोना मरीजों का मिलना शुरू हो गया है। वहां के 300 मकानों और 90 दुकानों को सील किया जा चुका है। धारावी सहित कई झुग्गी बस्तियों में सैनिटाइजेशन का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। राज्य में मुंबई सबसे अधिक कोरोना प्रभावित शहर है लेकिन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में जिस तरह से ये लड़ाई लड़ी जा रही है उससे उम्मीद यही की जा रही है कि आगामी कुछ हफ्तों में वह इस लड़ाई को जरूर जीत लेंगे और कभी ना सोने वाला यह शहर फिर से अपनी पुरानी आबो-ताब के साथ जिंदगी की पटरी पर दौड़ लगाने लगेगा।


ठाकरे का सराहनीय फैसला



कोरोना मरीजों की मृत्यु के विषय में महाराष्ट्र सरकार ने निर्णय लिया था कि ऐसी परिस्थितियों में मृतक के शरीर को जला दिया जायेगा जैसा कि कई अन्य राज्यों में किया जा रहा है। तब इस विषय को लेकर मुस्लिम समाज ने उद्धव ठाकरे के समक्ष आपत्ति दर्ज कर कहा कि यह निर्णय उनकी धार्मिक मान्यता और रीति रिवाज के विरूद्ध है। तब मुख्यमंत्री ठाकरे ने उनकी इस बात को पूरा सम्मान देते हुए तत्काल उस निर्णय को बदला। नये नियमानुसार मुस्लिम अपनी धार्मिक मान्यता अनुसार कोरोना से मरने वाले का अंतिम संस्कार कर सकेंगे।



मुख्यमंत्री के इस निर्णय से जहाँ राज्य के मुसलमानों ने राहत की सांस ली है वहीं उनका उद्धव ठाकरे और उनकी सरकार में विश्वास भी बढ़ा है। निश्चित रूप से ठाकरे की इस संवेदनशीलता से राज्य एक मजबूत इकाई के रूप में उभरकर सामने आयेगा।


 


5 लाख गरीबों को भोजन और चिकित्सा सुविधा


 



शोलापुर में हुए धार्मिक आयोजन पर उद्धव ठाकरे ने अपने वीडियो संदेश में स्पष्ट कहा कि इस तरह के आयोजनों की कहीं भी अनुमति नहीं है। क्योंकि इससे कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ता है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे सोशल डिसटेंसिंग का पूर्ण पालन करें।



ठाकरे ने यह भी बताया कि राज्य में 5 लाख प्रवासी मजदूरों के लिए एक समय का नाश्ता और दोनों वक्त के खाने का इंतजाम भी सरकार द्वारा किया गया है। इसलिए किसी भी प्रवासी मजदूर को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही जिन कैम्पों में इन्हें रखा गया है वहां उन्हें चिकित्सकीय सुविधा भी मुहैया करवाई गई है।