सभी भारत वासियों को होली महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं -
पंडित शारदा प्रसाद तिवारी
पंडित शारदा प्रसाद तिवारी द्वारा होलिका दहन शुभ मुहूर्त पर विशेष
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नीचे दी गयी तालिका में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त इत्यादि की सभी जानकारी दी गयी है।
होलिका दहन मुहूर्त -18:26:20 से 20:52:17 तक अवधि - 2 घंटे 25 मिनट
भद्रा पुँछा - 09:50:36 से 10:51:24 तक
भद्रा मुखा - 10:51:24 से 12:32:44 तक
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बुराई पर अच्छाई की जीत
होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होलिका दहन का ये त्यौहार भगवान के प्रति हमारी आस्था को मज़बूत बनाने के लिए प्रेरित करता है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपने परम भक्त प्रह्लाद को बचाया था और उन्हें छल से मारने का जतन करने वाली होलिका को सबक सिखाया था। उसी समय से फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत हुई। कई जगहों पर इस दिन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है.
भारतवर्ष में होलिका दहन थी रीत बहुत पुरानी है आपसी भाईचारा कायम करने के लिए यह त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, एक दूसरे को कलर लगाना और गले लगना यही त्यौहार का मूल रूप है. मुझे याद है कि गांव में यह त्यौहार 15 दिन पहले से मनाया जाता है और 15 दिन बाद तक चलता रहता है ।
होलिका दहन पूजन सामग्री -
अगर आप होलिका दहन करने की सोच रहे हैं तो इसके लिए आपको कुछ ख़ास चीज़ों की ज़रूरत होगी। जैसे, गोबर से बने बड़कुले, गोबर, गंगाजल या साफ़ पानी, पूजा में इस्तेमाल के लिए कुछ फूल-मालाएं, सूत, पांच तरह के अनाज, रोली-मौली, अक्षत, हल्दी, बताशे, रंग-गुलाल, फल-मिठाइयां।
होलिका दहन पूजन विधि -
फल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और फिर होलिका व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दोपहर के समय होलिका दहन वाले स्थान (जहाँ होलिका जलानी है) को साफ़ पानी से धोकर साफ़ कर लें और वहां होलिका का सभी सामान (सूखी लकड़ी, उपले, सूखे कांटे इत्यादि) वहाँ एकत्र करें।
गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाएं। नरसिंह भगवान की पूजा करें। भगवान को सभी चीज़ें अर्पित करें।
विशेष -
शाम के समय पूजा करें, फिर होलिका जलाएं और उसकी तीन परिक्रमा लगाएं। भगवान नरसिंह का नाम लें और फिर पाँचों अनाज को अग्नि में डालें। परिक्रमा करते हुए अर्घ्य दें, कच्चे सूत से होलिका पर लपेटते हुए परिक्रमा करें। गोबर के बड़कुले, चने की बालों, जौ, गेहूं इत्यादि होलिका में डालें।गुलाल डालें और जल चढ़ाएं।अंत में होलिका की भस्म अपने घर लेकर आएं और उसे मंदिर वाली जगह पर रख दें।
पंडित शारदा प्रसाद तिवारी
चेयरमैन-
मां अमृता मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट